टैरिफ ही न बढ़ाएं, कॉल ड्राप व इंटरनेट स्पीड भी सुधारें

टैरिफ ही न बढ़ाएं, कॉल ड्राप व इंटरनेट स्पीड भी सुधारें


 


टेलीकॉम कंपनियों ने अपनी कॉल दरों में 50 फीसदी तक बढ़ोतरी कर दी हैं। संचार सेवा के महंगे होने से आम लोगों की जेब पर बोझ बढ़ गया है। डेटा व कॉल महंगा होने के बाद सवाल खड़ा होने लगा है कि टेलीकॉम कंपनियां उपभोक्ताओं की जेब पर बोझ ही बढ़ाएगीं या फिर बेहतर सुविधाएं भी देंगी! 4 जी स्पीड के दावे के बीच में उपभोक्ता ऑपरेटर बदल कर बेहतर सेवा तलाश रहे हैं। आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान ने सोमवार को विशेषज्ञों और जागरूक नागरिकों के बीच 'व्हाट्सएप संवाद किया। लोगों के बीच से यह बात निकलकर आई कि कॉल ड्राप बड़ी समस्या है। इससे तनाव पैदा होता है। लोगों ने पर खुलकर चर्चा की कि इंटरनेट स्पीड को लेकर पिछले एक वर्ष में अनुभव बेहतर हुए या बदतर! 'कॉल दरें तो बढ़ा दीं, सुविधायें कब बढ़ेंगी विषय पर हुए 'संवाद में लोगों ने बेबाकी से अपनी बात रखी। गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददातामोबाइल सेवा से जुड़े जागरूक व्यवसायी अरण्य सिंह ने संवाद की शुरुआत करते हुए कहा कि कि टेलीकॉम कंपनियों ने उपभोक्ताओं को सिर्फ लूटा है। एक जीबी डाटा के लिए उपभोक्ताओं से 300 रुपये तक लिए गए हैं। टैरिफ वार में कुछ महीने के लिए कॉल व डाटा की दरें कम हुईं, लेकिन एक बार फिर महंगी कॉल दरों की मार उपभोक्ताओं पर पड़ रही है। व्यवसायी रोहित पांडेय ने लिखा कि सेल्युलर सेवाओं में कॉल ड्रॉप बड़ी समस्या है। पांच से छह बार में कॉल कनेक्ट करने के बाद बात पूरी होती है। इंटरनेट की बेहतर स्पीड रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ गई है। मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्रा निशा सिंह का कहना है कि पहले देहात एरिया में कॉल ड्रॉप या कनेक्टिविटी की समस्या थी लेकिन अब शहरी आबादी भी खूब जूझ रही है। कंपनियों की तुलना में बीएसएनएल निजी बेहतर है। हालांकि बीएसएनएल ने मुफ्त कॉलिंग और डेटा सेवाओं से लुभा नहीं सका। एमएमएमयूटी कैंपस स्थित नाइलेट संस्था के सहायक निदेशक निशांत त्रिपाठी ने जानकारी दी कि मोबाइल कंपनियों को बीटीएस पर निवेश करना होगा। कंपनियों ने मुफ्त में सिम तो बांट दिये लेकिन सुविधाओं को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया। कंपनियों की डिमांड और सप्लाई रेसियों में काफी अंतर है। महंगी कॉल रेट के बीच उपभोक्ताओं को अभी भी बेहतर सर्विस का इंतजार है। मोबाइल कारोबार से जुड़े समीर राय कहते हैं कि उपभोक्ताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन मोबाइल टॉवरों की संख्या घटती जा रही है। विदेशों में जहां 5जी की स्पीड मिल रही हैं वहीं देश में 4जी को लेकर ही पर्याप्त टॉवर नहीं लगाए जा सके हैं। उपभोक्ता ऐसे भी हैं जिनकी मासिक आय हजार रुपये तक है, ऐसे में सरकारों को भी टैरिफ वॉर में हस्तक्षेप करना होगा। इंटरनेट का आदी बना दरें बढ़ा रहीं कंपनियांडीडीयू में अंग्रेजी विभाग की शोध छात्रा झुंपा सरकार कहती हैं कि समझ में नहीं आता है कि कंपनियां जब 4-जी लांच कर रही थी तो इंटरनेट की स्पीड काफी अच्छी थी। धीरे-धीरे स्पीड भी काफी कम होती जा रही है। वर्तमान में चार प्रमुख टेलीकॉम कंपनियां हैं, जिनका बाजार पर एकाधिकार है। इंटरनेट आज की शिक्षा, कार्यालयों, मनोरंजन और अन्य आवश्यक दैनिक सुविधाओं की रीढ़ है। नेट के बिना एक दिन एक बुरे सपने की तरह लगता है। इसलिए हर किसी को इसका आदी बनाने के बाद वे इसकी कीमत बढ़ा रहे हैं। टेलीकॉम कंपनियों द्वारा की गई मूल्य वृद्धि का समर्थन नहीं किया जा सकता है। कंपनियों को चाहिए कि वह सबसे पहले, वर्तमान स्थितियों में सुधार करें। इसके बाद वह सुविधाओं में विस्तार दें। संवाद से निकली बातें- सिर्फ उपभोक्ता बढ़ाने पर नहीं ध्यान दें कंपनियां- नेटवर्क जाम की समस्या दूर करने के लिए मोबाइल टॉवर लगाएं - दिक्कतों को लेकर ट्राई में शिकायत करें उपभोक्ता- इंटरनेट स्पीड नहीं मिलने पर कंपनियों पर कसी जाए नकेल- कंपनियां बीटीएस लगाने पर करें निवेशलोगों का कहना हैऑनलाइन बैंकिंग में इंटरनेट की स्पीड अचानक कम होने से काफी दिक्कतें होती हैं। उपभोक्ताओं को चाहिए कि टेलीकॉम कंपनियों की मनमानी और नेटवर्क की समस्या को लेकर ट्राई से शिकायत करें। जितनी दिक्कत उपभोक्ता उठा रहे हैं उसके एवज में बमुश्किल एक फीसदी शिकायत भी ट्राई तक नहीं पहुंच रही है।रोहित पांडेय, व्यवसायीकंपनियों का जोर सिर्फ उपभोक्ता संख्या बढ़ाने पर है। बीटीएस लगातार कम हो रहे हैं। इससे कॉल ड्रॉप की समस्या दूर नहीं हो रही है। ट्राई और सरकार को उपभोक्ताओं के हित मे आना होगा। काल ड्राप एक बहुत ही गम्भीर समस्या है। ट्राई ने मोबाइल पोर्टबिलिटी की सुविधा तो दे रखी है लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। अरण्य सिंह, मोबाइल विशेषज्ञकंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा निर्धारित मानक से नीचे है। वीडियो कॉल की गुणवत्ता खराब है। बेहतर सिग्नल के लिए रेंज बदलनी पड़ती है। बिल्डिंग के ग्राउंड फ्लोर और ऊपर के तल पर फ्रिक्वेंसी अलग-अलग होती है। नेटवर्क की खराबी के चलते एक ही बात को कई बार बोलना पड़ता है। जिससे चिड़चिड़ाहट होती है। झुंपा सरकार, शोध छात्रा, अंग्रेजी विभाग, डीडीयू12 टेलीकॉम कंपनियों में से सिर्फ चार मार्केट में बची हुई हैं। 100 करोड़ उपभोक्ताओं के बाजार में कंपनियां अधिक से अधिक कमाई करने की होड़ में हैं। सुप्रीम कोर्ट की आंड़ लेते हुए कंपनियों ने पांच दिसम्बर से लागू होने वाले नये टैरिफ प्लान को सार्वजनिक कर दिया है। इसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।समीर राय, विशेषज्ञदूरसंचार कंपनियां बाजार में एकाधिकार बनाकर लाभ कमाने की होड़ में हैं। पहले उपभोक्ताओं को सस्ती कॉल रेट और डेटा पैक की सुविधा दी गई। अब कंपनियां असली रंग दिखा रही हैं। कंपनियां कॉल रेट में अनुचित बढ़ोतरी कर रही हैं। इनकमिंग कॉल को लेकर शर्त रखी जा रही है। इंटरनेट की स्पीड दावे से काफी धीमी है। निशा सिंह, मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्टूडेंट, एमएमएमयूटीनेटवर्क की खराबी के चलते जरूरी बात करने के दौरान कॉल ड्रॉप हो जाती है। कई बार कॉल करने के दौरान अक्सर कॉल कनेक्ट ही नहीं होता है। नेटवर्क कंपनियों को प्रयास करना होगा कि कॉल ड्रॉप के मामले कम हों। कंपनियों को रेडियो फ्रिक्वेंसी को बढ़ाना होगा। निशांत त्रिपाठी, सहायक निदेशक, नाइलेट